Sunday 20 March 2016

नन्ही मुस्कान


आज सामने वाली रेड लाइट पर
जैसे ही ऑटो की स्पीड थमी
दौड़ कर
चीन्नी, मीन्नीऔर टीन्नी
आ धमके तमाशा दिखाने
कभी नाच कर
तो कभी कुछ मजाकिया कह कर,
कभी एक के ऊपर एक चढे़
तो कभी, छोटे से गोले से निकले,
कभी लगे कोशिश करने
इस छोटे से गोले में साथ घुसने की,
तरकीब और तमाशा
अजब गजब निराला ढ़ंग,
लोग ताली बजाते
मन ही मन मुस्कुराते
प्रशंसा करते
अच्छा तो था ही,
पर ये क्या
तमाशा तो सबने देखा
न देखा वो दर्द
उस छोटे से बच्चे के चेहरे पर
जो निकल रहा था उस छोटे से गोले से
बार बार, साथ साथ!
अब बारी थी
रुपया मांगने की
रेड लाइट ऑन हो गई
और, बच्चे के चेहरे पर जो
मुस्कुराहट थी, हंसी थी
एका एक गायब हो गई
किमत भी क्या थी उस नन्ही सी मुस्कान की
मात्र कुछ रुपए
जो उन तमाशबीनों के लिए बड़ी रकम न थी
पर फिर भी
नन्ही मुस्कुराहट बरकरार न रह पाई।
©shailla’z diary

No comments:

Post a Comment