Sunday 3 April 2016

I like it..so I share


#April #pennedbyothers
पहन लेती हूँ मौसम कान में झुमकी बनाकर जब
तो बादल आसमानों में भी अक्सर मुस्कुराता है
सुबह जब धूप की पायल पहनकर घर से निकलूँ मैं
तो यूँ लगता है मेरे साथ लम्हा गुनगुनाता है
लिबासों की तरह मेरे हज़ारों रंग हैं लेकिन
बदल जाना मेरी फ़ितरत में ही शामिल नहीं है
ख़ुद अपना हौसला हूँ ज़िंदगी में इसलिए शायद
मैं जो चाहूँ करूँ कुछ भी यहाँ मुश्किल नहीं है
मगर जब भी मिटाओगे मैं वापस लौट आऊँगी
कि जैसे पत्थरों की आँख में इक फूल खिलता है
मैं मनमानी हवा हूँ रास्तों से मुझको क्या लेना
जिधर चल दूँ उधर ही रास्ता हर बार मिलता है

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