Friday 1 January 2016

साल का पहला

आज नई  साल का पहला दिन मैं सोच रही हूं कि पिछली जनवरी के पहले दिन मैं क्‍या कर रही थी कुछ याद नहीं, अब इत्ती पुरानी बात कैसे याद रहे। लेकिन इस साल का पहला दिन  बहुत सुहावना लगा रहा है सुहावना क्योंकि आज सुबह से अच्‍छा-अच्‍छा सा महसूस हो रहा है। आज सुबह सवेरे ही मैं तैयार हुई अच्छा मेकअप किया और घुमने निकल गई। कभी कभी आसपास घुमते लोग, शोर-शराबा अच्छा लगता है, नए साल की चीख-चिल्‍लाहट है इर्द-गिर्द, सब अच्छा। साल का रिजोल्यूशन है कि अब अपने कमरे में अकेले नहीं बैठी रहूंगी। ज्यादा से ज्यादा पढूंगी और  थोड़ा बहुत लिखूंगी भी।  ऐसे ही तो सीख पाऊंगी।
और फिर एक दिन सीख ही लूंगी लिखना, लिखूंगी ज्यादा से ज्यादा, तभी तो लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करूंगी, अच्छा या बुरा ये मैं तय नहीं करूंगी।
आज पूरा दिन घुम कर आने के बाद, चाय के प्याले के साथ सोच रही हूं गुजरे और आने वाले साल को। और तय कर रही हूं भीतर ही भीतर कि ये साल बहुत अच्छा होगा। क्योंकि ये जीवन सिर्फ मेरा है , इसलिए सिर्फ मेरी ही जिम्‍मेदारी है कि ये ठीक-ठीक हो। किसी दूसरे-तीसरे की नहीं। अब ये सोचने में उम्र जाया नहीं करनी कि फलां कहां है क्या कर रहा होगा, चिलां क्‍या कर रहा था। इसने क्‍या किया क्यों नहीं किया और उसने क्‍या किया या क्यों किया । दुनियाभर की शिकायतों का पुलिंदा ले कर बैठने से कभी चैन की नींद नहीं आती। खुद से पूछो तुम कहां हो क्या कर रही हो। खुद के साथ हो कि नहीं।
इस साल का वादा कि मैं रहूंगी मेरे साथ। कोई और रहे, न रहे। तो खुद से खुद को नए साल की खूब-खूब मुबारक।
इस साल की सबसे बड़ी कोशिश रहेगी मेरी पेंटिंग की exhibition…!!
©Shailla’z Diary

No comments:

Post a Comment