सर्दी की बारिश से कहीं भागी है धुप
रूठी नहीं बस बागी है धुप
ठिठुरता तन
मन भी कंपता सा
सूरज से हमने थोड़ी मांगी है धुप
तेरे ख्यालों की धुप भी
बिखरी है यहाँ वहाँ
यादों की रस्सी पे जैसे टांगी हो धुप
आंचल में मैंने समेटने की
कोशिश तो की
देखो कैसी
प्यारी दुलारी है धुप
अदरक की चाय किस इ महकी
अलसाई सी अंगडाई लेती
देखो अभी अभी
जागी है धुप
लिपटी है तन से
मन भी महका सा है
प्रीतम सी अब मोसे लागी है धुप!
रूठी नहीं बस बागी है धुप
ठिठुरता तन
मन भी कंपता सा
सूरज से हमने थोड़ी मांगी है धुप
तेरे ख्यालों की धुप भी
बिखरी है यहाँ वहाँ
यादों की रस्सी पे जैसे टांगी हो धुप
आंचल में मैंने समेटने की
कोशिश तो की
देखो कैसी
प्यारी दुलारी है धुप
अदरक की चाय किस इ महकी
अलसाई सी अंगडाई लेती
देखो अभी अभी
जागी है धुप
लिपटी है तन से
मन भी महका सा है
प्रीतम सी अब मोसे लागी है धुप!
©shailla’z diary
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