आज माँ बहुत याद आ रही है यह उसके दुनिया से रुखसत लेने का महीना जो है। जब भी सोचती हूँ उसके बारे में तो न जाने क्या क्या आँखों के आगे दौड़ने लगता है। उसका हंसना..उसकी मुस्कान.. परेशान करने पर मारने दौड़ना..शैतानी ज्यादा करने पैर मुझे मुर्गा बना देना..फिर रूठ जाओ तो खूब दुलारना..गलती करने पर समझाना.. और खूब डूब कर स्वादिष्ट पकवान बनाना।
मीठे की बड़ी शौकीन थी मेरी माँ..घर को सजा की शौकीन..कढ़ाई बुनाई रंगाई की अच्छी समझ रखने वाली औरत थी मेरी माँ।
सालों साल जरुरत मंदों की जरूरतें पूरी करती रही और अपने लिए न जाने कौन सी ख़ुशी कमाती रही।
आज उसके सभी गुणों को साथ याद कर रही हूँ इस कामना के सतग कि किसी भी माँ को कभी वो दर्द न सहना पड़े जो मेरी माँ को सहना पड़ा।।
आमीन
मीठे की बड़ी शौकीन थी मेरी माँ..घर को सजा की शौकीन..कढ़ाई बुनाई रंगाई की अच्छी समझ रखने वाली औरत थी मेरी माँ।
सालों साल जरुरत मंदों की जरूरतें पूरी करती रही और अपने लिए न जाने कौन सी ख़ुशी कमाती रही।
आज उसके सभी गुणों को साथ याद कर रही हूँ इस कामना के सतग कि किसी भी माँ को कभी वो दर्द न सहना पड़े जो मेरी माँ को सहना पड़ा।।
आमीन
©shailla’z diary
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