-69स्वतंत्रता दिवस की अनेक अनेक बधाईयाँ...॥
सुना था कभी...
आज ही के दिन आज़ाद हुआ भारत देश
आज़ाद हुए थे हम।
गुलामी छुटी,हुआ नवयुग का निर्माण,
पर कैसी आज़ादी, कैसा नवयुग निर्माण?
अंग्रेज तो चले गए,मगर
भारत-राज के टुकड़े कर गए
एक टुकड़ा अलग हो गया
नाम पाकिस्तान हो गया
गुंज तो रही खुशियां, मगर
फिर भी सिसक रहा देश
रक्तपात-कत्लेआम से
घायल, रो रही धरती
तो बोलो कैसी आज़ादी
कैसा आज़ाद देश।
बंटवारे की आफत में
रिश्ते-नाते-यारे
सब हो गए न्यारे
आतंकवाद और भ्रष्टाचार का
बोलबाला है चार दिशायें
नक्सलियों ने किया छलनी सीना
तो बोलो कैसी आज़ादी
कैसा आज़ाद देश।
दे गए झूठे नारे, झूठे वादे
अब ना किसी से शर्माते
कहने को आज़ाद ,मगर
ख्यालातों से गुलाम सभी
लूट जाते बेटे-बेटियां
अफसोस करते रह जाते हम
ज्ञान हमारा, मान हमारा
बिक रहा बाजारों में
कठपुतली से बने रह गए
हुए इतने लाचार सभी
तो बोलो कैसी आज़ादी
कैसे आज़ाद हम।।
©shailla'z diary
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